Real questions to Hindu Acharya

 

क्षमाप्रार्थी आचार्य मुनिवरों… मुझे यह ज्ञात है कि आप, प्राण प्रतिष्ठा से क्षुब्ध हैं, लेकिन फिर भी 22 जनवरी को ही प्राण प्रतिष्ठा होनी है तो होगी, पर अति विनम्रता के साथ इस देश के करोड़ो रामभक्त आपसे कुछ सवाल करना चाहते हैं…

1. जब इसी देश में राम के अस्तित्व पर सवाल उठाए जा रहे थे, तो आपलोग कहाँ थे, और कहाँ थी आपकी शास्त्र मर्मज्ञता ?

2. जब इसी देश में रामविरोधी कुनबों के द्वारा, हिंदू धर्म व सनातन धर्म को ना जाने क्या क्या कहे गए, उस समय आपलोग मौन क्यूँ रहे ?

3 इसी देश में रामचरितमानस की प्रतियाँ फाडी गई, कहाँ था आपका ज्ञान ?

4 जब कांची कामकोटि पीठ के शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती जी को दिवाली के दिन पूजा करते समय घसीटते हुए गिरफ्तार किया गया था, तब आप शेष तीनों कहाँ थे?

5 जब कश्मीर में हिंदुओं का नरसंहार और निष्कासन हो रहा था, उस समय आप सभी मौन क्यूँ थे ?

पूरा देश आपको हिंदू धर्म से ही जानता है, इसलिए मेरी तरह यह देश भी जानना चाहता है कि, उपरोक्त अवसरों पर आपने ग्रह नक्षत्रों के चाल की विवेचना करके सनातनी विरोधी शक्तियों को क्यों नही जबाब दिया ?

आपकी ज्ञान मर्मज्ञता केवल 22 जनवरी के लिए ही जागृत हुई है ?

यह सच है कि भीष्म पितामह हस्तिनापुर के समर्पित योद्धा थे, ज्ञानी थे, सच्चरित्र थे लेकिन अन्याय को मौन समर्थन दिया… इसलिए वह शरशय्या के अधिकारी बने, सिंहासन के नहीं…बेशक आप भीज्ञानी हैं, धर्माचार्य हैं लेकिन अन्याय के समय मौन रहने के कारण आप भी हिंदू समाज के प्रश्नशैय्या के हकदार हैं, क्योंकि जब श्रीराम टाट के टेंट में थे, तो आप सोने के सिंहासनों पर चढ़ कर हाथी की सवारी करते थे! प्राण प्रतिष्ठा पर ऐसी नाराजगी के पीछे कहीं आपलोगों की निजी महत्वाकांक्षा तो नहीं है..?

कहने को रावण भी महा ज्ञानी था , प्रकांड पंडित था ,,मगर वो धर्म और नीति विरुद्ध था

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