यह विवाह पत्रिका देखो यह पत्रिका बताती है कि ईसाई बन चुके लोग आदिवासियों के हकों पर कैसे डाका डाल रहे हैं.. पत्रिका में नाम सब आदिवासी लेकिन अंदर से पूर्ण-रूपेण इसाई अपनी सारी आदिवासी परंपराओं को छोड़ ईसाई बन चुके लोग सिर्फ आदिवासी नाम का उपयोग आदिवासियों के हकों से नौकरी छीनने आदिवासी कोटे से पंच सरपंच विधायक के चुनाव लड़ने के लिए उपयोग करते हैं.
.. लेकिन असल में यह इसाई हो चुके हैं इनके विवाह ईसाई रीति नीति से होते हैं मरने पर यह ताबूत में गाड़ते है, विवाह पत्रिका चर्च और ईसाईयत के अनुरूप छपवाते है। लेकिन नाम नहीं बदलते क्योंकि नाम बदल लिया तो यह लोग आदिवासियों के हकों पर डाका नहीं डाल पाएंगे आदिवासी आरक्षण का फायदा नहीं उठा पाएंगे। बेचारा असली आदिवासी इसीलिए तो डीलिस्टिंग की मांग कर रहा है कि सरकार इन कन्वर्ट ईसाईयों को आदिवासी सूची से हटाए और इन लोगों को ईसाई सूची में डालें ताकि यह लोग आदिवासियों के नौकरियों चुनाव सहित किसी भी कोटे में आदिवासी बनकर डाका ना डाल सकते हैं।
चर्च और चर्च से जुड़े वामपंथी संगठन बहुत चालाकी से आदिवासी लोगों के हकों पर डाका डाल रहे हैं। इसलिए समय की मांग है की असली आदिवासी समाज जो डीलिस्टिंग की मांग कर रहा है इन कन्वर्ट ईसाईयों को आदिवासी सूची से हटाने की जो मांग कर रहा है, उस मांग पर डीलिस्टिंग तुरंत शुरू होनी चाहिए। डीलिस्टिंग के समय इन लोगों को दो ऑप्शन दिया जाना चाहिए या तो घर वापसी करो सनातन आदिवासी परंपराओं का पालन करो या फिर आदिवासियों के सारे हक अधिकारों को छोड़ो और ईसाई सूची में शामिल हो जाओ। इसलिए समय की मांग है डीलिस्टिंग असली आदिवासी समाज के हकों पर चर्च और यह कन्वर्ट ईसाई अब तक खूब डाका डालते आए पर अब आदिवासियों के हकों पर चर्च और कन्वर्ट ईसाइयों को डाका नहीं डालने दिया जाएगा। डिलिस्टिंग करना इसलिए जरूरी है होगया है। समस्या अनेक समाधान एक डिलिस्टिंग..!!